Maa aur Beta ki Sex Kahani :नमस्ते दोस्तों आज की कहानी कुछ अलग है लेकिन मुझे यकीन है कि आपको जरूर पसंद आएगी आप सभी जानते ही हैं कि जब पांच छह औरतें जब एक जगह इकट्ठा होती हैं
तो उनकी बातें कैसे रंग जमाती हैं और अगर कोई हल्का फुलका छटपटा विषय निकल आए जैसे तुम्हारे पति तो सोने नहीं देते होंगे इन सब में तो वे खूब मग्न हो जाती हैं या फिर चाहे वह घर की बात हो या पड़ोस की या सहेली की शादीशुदा जिंदगी की वे इन सब विषय को बड़े चाव से करती हैं
तो दोस्तों जब मैं और मेरी मां नानी के गांव से लौटे तब उसके तीन दिन बाद का यह कहानी है मेरा नाम अनिरुद्ध है उस दिन दोपहर को खाना खाकर सब काम निपटाने के बाद मैं अपने कमरे में आराम कर रहा था मां नीचे हॉल में बैठकर टीवी देख रही थी फिर थोड़ी ही देर में मां की पांच-छह सहेलियां उनसे मिलने आ गई मैंने दरवाजे की दरार से देखा तो मधु चाची रमा चाची गायत्री चाची लीला चाची और मीना चाची आई हुई थी इनमें से चार चाची मुझसे पहले बात कर चुकी थी तब मां ने उनका स्वागत किया और वे सब नीचे फर्श पर बैठ गई फिर चाय पानी के बाद उनकी बातें रंग पकड़ने लगी और मैं कान लगाकर सुनने लगा
मधु चाची बोली अरे भाभी कब आई गांव से आपकी मां कैसी है तब मां ने कहा परसों शाम को आई और मेरी मां भी बिल्कुल ठीक है फिर रमा चाची बोली भाभी आप तो गांव से लौटकर बहुत खुश दिख रही हैं आपके चेहरे पर अलग ही चमक है इस पर मां बोली रमा तुम कुछ भी बोलती हो मैं जैसी थी वैसी ही हूं कोई बदलाव नहीं है
नीना चाची बोली अरे सरोजा इतने दिनों बाद तुम भाभी जी से मिली तो खूब मस्ती की होगी ना मां बोली कुछ भी कहती हो मीना भाभी जी ऑन फिस के काम से चार दिन बाहर चली गई थी तो मेरी बहन ने अपने घर बुला लिया था लीला चाची बोली अरे फिर तो अनिरुद्ध अकेला ही तुम्हारे साथ था है ना फिर खूब मजा आया होगा सरोज मां बोली लीला तुम्हारी जबान में अच्छी बातें हैं कि नहीं कुछ भी बोलती है तू तभी बहस को रोकते हुए गायत्री चाची बोली अरे सरोजा अनिरुद्ध तुम्हारे बेटे जैसा है वह ऐसा कुछ नहीं करेगा वह तुम्हारे पास आता तो चिपकने लेकिन कुछ अभी तक किया नहीं है
इस पर रमा चाची बोली हे भगवान क्या कह रही हो गायत्री मुझे तो यह सब पता ही नहीं था इस पर लीला चाची बोली क्या बताऊं अब तो मुझे खुद पर ही शर्म आने लगी है मेरा बेटा विवेक वो भी बहुत जिद्दी हो गया है मैंने उसे डांटा फटकारा लेकिन वह सुधरने का नाम ही नहीं ले रहा अब वह इतना बड़ा हो गया है कॉलेज जाता है ऐसे मैं उस पर हाथ कैसे उठाऊं मैंने नजरअंदाज किया तो उसका हौसला और बढ़ गया अब तो मैं भी थक गई हूं फिर मधु चाची बोली लीला मुझे सच बताओ तुम दोनों के बीच अब तक कुछ हुआ तो नहीं मां बोली लीला तुम उससे प्यार से बात करो जानने की कोशिश करो कि वह ऐसा क्यों कर रहा है है यह उम्र ही ऐसी होती है अगर सही मार्गदर्शन ना मिले तो बच्चे भटक जाते हैं रमा चाची बोली सरोजा सही कह रही है
लीला तुम उससे खुलकर बात करो तब लीला चाची बोली अरे परसों ही मैंने उससे बात की उसने कहा मां तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो मुझे बस एक बार तुम्हारे साथ करने दो अब आप ही बताओ मैं क्या करूं गायत्री चाची बोली अरे लीला अगर उसका इतना इच्छा है तो उसे एक बार मौका दे दो वैसे भी यह बात बाहर किसी को नहीं पता चलेगी और तुम्हें भी घर में ही निपटाने का मौका मिलेगा इस पर मीना चाची बोली गायत्री बिल्कुल सही कह रही है और सच कहूं उम्र बढ़ने के साथ पति हमसे दूर हो जाते हैं और जो खुशी हमें चाहिए वह दे नहीं पाते तो फिर बेटे से वह मिल जाए तो इसमें क्या बुरा है फिर लीला चाची बोली आप सबकी बातें सुनकर मेरा सिर घूमने लगा है समझ नहीं आ रहा अब क्या करूं लेकिन मीना जो कह रही है वह गलत भी नहीं लग रहा है फिर लीला चाची बोली मीना तुम्हारा बेटा भी तो हमारे ही लड़के की उम्र के जैसा है
अगर उसने ऐसा कुछ किया होता तो तुम क्या करती तब मां भी बोली हां अब बोलो मीना जवाब दो तब मीना चाची बोली तुम सुनना चाहोगी मेरा जवाब तो सुनो मेरा बेटा जब कुछ भी मुझसे चाहता है
तो मैं उसके पास खुशी खुशी जाती हूं फिर हम दोनों बहुत खुश रहते हैं और वैसे भी घर में ही सब कुछ निपट जाता है तो क्यों मना करो तब गायत्री चाची बोली मीना तुमने जो किया वह बिल्कुल सही किया नहीं तो बच्चे बाहर कुछ उल्टा सीधा करेंगे और परेशानी हमें ही झेलनी पड़ेगी इससे तो यही बेहतर है रमा चाची भी बोली लीला तुम ज्यादा मत सोचो मीना जो कह रही है वह सही है अगर वह इतना पीछे पड़ा हुआ है तो उसे एक मौका दे दो तुम्हें भी कुछ अलग अनुभव करने का मौका मिलेगा इस पर एक बार सोचो और फिर विचार करो तब मधु चाची भी बोली लीला अब तुम्हें ही एक कदम आगे बढ़ाकर उसे संभालना होगा अगर वह तुमसे बात करने की कोशिश कर रहा है तो तुम भी उसका साथ दो उसे जो भी चाहिए दे दो फिर देखना तुम दोनों कितने खुश रहोगे और धीरे-धीरे तुम दोनों को एक दूसरे का साथ भी अच्छा लगने लगेगा
तब लीला चाची बोली अब जब तुम सब इतना कह रही हो तो मैं कोशिश करके देखती हूं लेकिन मुझे बहुत शर्म आ रही है ऐसा कुछ करने में और डर भी लग रहा है कि अगर मेरे पति को पता चल गया तो क्या होगा तब मां बोली लीला अब इतनी ज्यादा मत सोचो अगर तुमने तय कर लिया तो सब कुछ ठीक हो जाएगा गायत्री चाची भी कहने लगी तो फिर अब किस बात का इंतजार है लीला जल्दी निकलो इससे पहले कि तुम्हारे पति घर आए तुम्हारा काम हो जाना चाहिए तभी मीना चाची बोली लीला एक बात बताओ तुम्हारे बेटे की ऊंचाई कितनी है क्या तुमने कभी ध्यान दिया है इस पर लीला चाची बोली मतलब मुझे समझ नहीं आ रहा कि तुम क्या कहना चाहती हो मीना मीना चाची बोली अरे लीला तुम्हें इतना भी समझ नहीं आता मतलब कि कि वो जैसा है उसका ताकत समझने की कोशिश की है क्या अब समझ आई बात इस पर लीला चाची बोली नीना क्या बात कर रही हो अभी तक तो मैंने उस पर ध्यान ही नहीं दिया है तब मधु चाची बोली लीला तुमने ध्यान ना दिया हो लेकिन जब वो तुम्हारे पास आता है
तो तुम्हें अंदाजा तो हो ही जाता होगा है ना तब लीला चाची बोली हां उसी से लगता है कि वह मेरे पति से ज्यादा आकर्षित है फिर रमा चाची बोली लीला अब तुम्हारे पास सुनहरा मौका है बिना समय बर्बाद किए उस लड़के को समझदार बनाओ और खुद भी अपने जीवन को बेहतर करो एक बार बात हो गई तो तुम्हारी जिंदगी सुलझ जाएगी यह सब सुनने के बाद लीला चाची उठी और बोली अगर मैं यहां और रुकी तो तुम सबकी बातें और सलाहे कभी खत्म ही नहीं होंगी अब मैं चलती हूं अच्छा हुआ कि तुम सबने सही सलाह दी चलो मैं चलती हूं मेरा बेटा मेरा इंतजार कर रहा होगा यह सुनकर सब जोर से हंसने लगी फिर गायत्री चाची ने कहा लगता है आज लीला अपने बेटे को खाना खिलाने वाली है फिर सब जोर-जोर से हंसने लगी तब बेचारी लीला चाची वह शर्मा गई और वहां से निकल गई उसके साथ मीना चाची भी चली गई अब मधु चाची रमा चाची गायत्री काकी और मां वहीं रह गई और फिर गप्पे मारने लगी
दोस्तों आप सब जानते ही होंगे कि कुछ औरतों के मन में जैसे कोई बात ज्यादा देर तक छिपी नहीं रह सकती क्योंकि उन्हें अनचाही बातें जानने और उन पर च करने में बहुत मजा आता है गप्पे मारते मारते गायत्री चाची ने मां से कहा सरोजा अगर तुम बुरा ना मानो तो एक बात पूछू तब मां ने कहा अरे पूछो ना गायत्री अब हम अजनबी थोड़े ही हैं जो भी मन में है खुलकर पूछो तब गायत्री चाची बोली मेरे कानों में यह बात आई है कि तुम्हारा अनिरुद्ध बहुत लंबा और गोरा है क्या यह सच है तब मां बोली अरे चुप रहो कैसी बातें कर रही हो गायत्री तब गायत्री चाची बोली अरे सरोजा इसमें शर्मा ने की क्या बात है तुमने तो कभी ना कभी तो उसे देखा ही होगा सच क्या है
बता ही दो रमा चाची भी बोली हां सरोजा एक बार साफ-साफ बता ही दो मेरा तो बुरा हाल हो रहा है सुनने की उत्सुकता बढ़ती जा रही है तब मां बोली हां अनिरुद्ध लंबा और गोरा है अब समझ में आया अब हो गया संतोष तब गायत्री चाची बोली बाप रे सरोजा तुम क्या कह रही हो सुनकर ही मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा है मधु चाची भी बोली हां सरोजा मुझे भी कुछ ऐसा ही लग रहा है मेरी बहुत इच्छा हो रही है उसे देखने की फिर गायत्री चाची बोली सच बताओ सरोजा तुमने उसे देखा है कि नहीं तब मां बोली अरे भाई सुबह उसे उठाने गई थी तभी देखी थी तुरंत रमा चाची बोली अच्छा फिर तो तुमको सर्दी हो गई होगी है ना तब मां बोली रमा कैसी बातें कर रही हो तुम फिर रमा चाची बोली अगर मैं होती वहां तो मेरी तो निकल ही जाती
फिर गायत्री चाची बोली हां सरोज मुझे मुझे भी चैन ना पड़ता तब मधु चाची बोली यह सब सुनकर ही ऐसा लग रहा है कि अब उससे बात किए बिना रहा नहीं जा सकता सरोजा तब एल गायत्री चाची बोली मधु तुम्हें नहीं लगता कि कभी-कभी तुम्हें भी अपनी बात कहनी चाहिए तब मधु चाची बोली हां मेरी भी इच्छा होती है लेकिन क्या करूं मुझ में इतनी हिम्मत नहीं होती कि ऐसे किसी मुद्दे पर बात करूं मेरी मां भी उनकी पिताजी की बातों पर झूठ बोलती थी लेकिन व भी सही थी आखिर हर बात सच सच बोलकर चर्चा का विषय क्यों बनाना और इन औरतों का क्या भरोसा पूरे गांव में बातें फैला देंगी फिर रमा चाची बोली तेरी भी इच्छा है ना ऐसा करने का सरोजा तो कोशिश कर ऐसा कुछ कर कि व खुद ही बात शुरू करें फिर तुझे आसानी होगी सरोजा ठीक है
तब मां बोली ठीक है मैं कोशिश करूंगी लेकिन मुझे थोड़ा अजीब लगता है इतने में बाहर से सब्जी बेचने वाले की आवाज आई तब शाम के 5:00 बज रहे थे
मां उठी और बोली चलो बाय मुझे रात के खाने और सुबह के टिफिन के लिए सब्जी लेनी है फिर वह सब्जी लेने बाहर चली गई बाकी औरतें भी सब्जी लेने के लिए उठ गई और चली गई अब उनकी बातचीत वहीं खत्म हो गई रमा चाची लीला चाची गायत्री चाची मधु चाची और मीना चाची अक्सर हमारे घर आती रहती थी
फिर उनकी गपशप का कोई अंत नहीं होता था हर पांच-छह दिन में वे एक दूसरे के घर मिलती और खूब बातें करती उनकी अपनी ही दुनिया थी वे दिन भर घर के काम में व्यस्त रहती परिवार के लिए अपनी इच्छाओं का गला घोड़ देती ऐसे में उनकी इन बैठकों को दोष कैसे दिया जाए पुरुष तो अपने दोस्तों के साथ खुलकर बात करते हैं अपनी पसंद के विषयों पर हंसी मजाक करते हैं लेकिन इन औरतों को ऐसा मौका कम ही मिलता है तो यदि वे एक दूसरे के साथ बैठकर अपनी मनपसंद बातें करें तो इसमें बुरा क्या है उनकी यह बातें सुनने वाले तो मजे ही लेते हैं ऐसे ही एक दिन दोपहर में कॉलेज से लौटकर मैंने और मां ने साथ में खाना खाया फिर मां का काम निपटा रही थी
और मैं हॉल में टीवी देख रहा था फिर थोड़ी ही देर में मुझे नींद आने लगी तो मैं सोफे पर ही लेट गया तभी अचानक दरवाजे पर तेज खटखट और औरतों की हंसी की आवाज से मेरी नींद खुली फिर मां ने दरवाजा खोला तब उनकी सहेलियां आ चुकी थी वे सब बाहर बरामदे में बैठकर बातें करने लगी मां ने कहा बैठो मैं चाय बनाती हूं तब नीना चाची बोली अरे सरोजा क्या तुम्हारी नींद खराब हो गई इस पर गायत्री चाची बोली अरे मीना तुम भी कैसी बातें कर रही हो उनकी नींद खराब हो गई और तुम साड़ी पहनकर सादगी दिखा रही हो तब मां बोली नहीं नहीं बस आंख लग गई थी फिर रमा चाची बोली अरे सरोज मतलब कल संडे था तो भाई जी ने तुम्हें रात भर सोने नहीं दिया होगा है
ना इस पर मां बोली ऐसा कुछ नहीं वैसे भी हमारे बीच बातचीत तो अक्सर होती रहती है तब मां आराम से सबके बीच शामिल हो गई थी और मैं सोफे पर पड़ा सब सुन रहा था लीला चाची बोली सरोजा तुम्हारी तो किस्मत अच्छी है हमारे तो पतियों को खुद उठाना पड़ता है मधु चाची बोली अरे लीला तो बेटे को बोलना चाहिए था वैसे भी मन में तो उसके भी कुछ बातें होंगी तब मीना चाची बोली हां लीला पिछली बार तुमने कहा था तुम मान गई थी फिर क्या हुआ गायत्री चाची भी बोली हां लीला पिछली बार बात वहीं रह गई थी अब तो आगे बोलो रमा चाची भी कहने लगी अरे लीला इतना मत शर्मा अब सबके बीच बोल लीला चाची बोली अरे मैं क्या बोलू मुझे तो बहुत शर्म आती है इस पर मधु चाची बोली अच्छा शर्म आ रही है तो तब नहीं आई थी जब वह सब हो रहा था गायत्री चाची बोली अरे मत परेशान करो
इसे अगर वह खुद चाहेगी तो बोलेगी तब मीना चाची बोली ठीक है लीला बस इतना बता कि तुझे कैसा लगा लीला चाची बोली बहुत अच्छा लगा बहुत खुशी हुई और कहूं तो मेरे पति से भी ज्यादा मजेदार है वह चाची बोली अरे यार अब क्या कहे तुम्हारे दोनों की तो घर में ही मजे हैं बस इतना सुनकर सब जोर-जोर से हंसने लगी मैं चुपचाप लेटा हुआ उनकी बातों का आनंद ले रहा था इतने में मधु चाची जिन्हे मैंने बाकी चाच से ज्यादा बार देखा था वह बोली अरे परसों जो हुआ वह तुम्हें पता है ना बड़ी मजेदार बात हुई थी तब मां बोली अरे ऐसा क्या हुआ मधु जल्दी से बता तब सबकी उत्सुकता बढ़ गई और सबने चिल्लाना शुरू कर दिया ए मधु जल्दी बोल क्या हुआ तब मां बोली अरे इतना शोर मत करो अनिरुद्ध अंदर सो रहा है
यह सुनकर सब शांत हो गई फिर मधु चाची बोली अरे हां हां बताती हूं हुआ यह कि परसों दोपहर को मैं घर पर अकेली थी बाहर बरामदे में बैठी हुई थी इतने में एक केले वाला केला ले लो केला चिल्लाते हुए हमारे घर के सामने आकर रुक गया तभी गायत्री चाची बोली फिर आगे क्या हुआ वो दिखने में कैसा था तभी लीला चाची बोली अरे पहले उसकी पूरी बात तो सुन लो फिर जो पूछना हो पूछ लेना
फिर आगे मधु चाची बोली मैं उसकी सिर पर रखी केले की टोकरी देख रही थी इतने में वह मेरे सामने आकर खड़ा हो गया और मुझे देखने लगा इस पर मीना चाची बोली अरे बाप रे मतलब कुछ हुआ है
चल जल्दी बोल क्या हुआ तब सब फिर से हंसने लगी फिर मधु चाची बोली अरे मैं उसकी तरफ देख ही रही थी कि उसने कहा मैम साहब केला चाहिए क्या बहुत अच्छे हैं
तब मैंने कहा अच्छा दिखाओ तो सही तब वो बोला हाथ में लेकर देख लो मैम साहब तब मैं तो और भी ज्यादा शर्मिंदा हो गई फिर मैंने उसकी बात अनसुनी करते हुए बोली अच्छा थोड़ा दिखाओ तो तब उसने कहा अरे मैम साहब टोकरी भारी है थोड़ा हाथ लगाओ तो उतार दूं तब उत्सुकता से गायत्री चाची बोली फिर क्या किया तूने हाथ में लिया कि नहीं इस पर मधु चाची बोली अरे मैंने सोचा चलो मदद कर दूं तो मैंने दोनों हाथों से उसकी टोकरी पकड़ ली फिर वो और मैं मिलकर टोकरी नीचे उतारने लगे यह सुन मीना चाची बोली तब तुझे बड़ा अच्छा लगा होगा है ना
तब मां ने कहा अरे नीना ऐसे बीच में बात को मत घुमाओ पहले उसकी बात पूरी सुन लो फिर आगे मधु चाची बोली उसने मुझे नीचे बैठकर कहा मैम साहब हाथ में लेकर देख लो ऐसा माल आपको कहीं और नहीं मिलेगा तब उसकी बात सुनकर मेरी नजर उसकी टोकरी पर टिक गई हंसते हुए गायत्री चाची बोली अरे फिर आगे क्या हुआ इस पर सब फिर से ठाके लगाने लगी तब फिर आगे मधु चाची बोली मैंने सोचा यह केले तो सच में बहुत अच्छे हैं
फिर वो बोला मैम साहब अगर पसंद आए तो तो एक फनी ले लो तब मैंने कहा अच्छा दिखाओ तो लेकिन दाम सही बताना तब उसने कहा मैम साहब आपके लिए ₹ में दूंगा मैंने कहा अरे थोड़ा ज्यादा बता रहे हो कम करो फिर वो बोला आप जो सही समझे दे देना तब मैंने फनी ली और र देकर उठने लगी तब मन ही मन मुझे बहुत अच्छा लग रहा था फिर गायत्री चाची बोली अरे फिर थोड़ी देर और रुक जाती वैसे भी घर पर अकेली थी मौका भी अच्छा था यूं ही जाने दिया इतना सुनकर सब जोर-जोर से ठहाके लगाने लगी और मैं चुपचाप उनकी बातों का आनंद लेते हुए मुस्कुरा रहा था |
यह काल्पनिक कहानी थी इसका उद्देश्य किसी को उत्तेजित करना नहीं है| इसका वास्तविक घटना से कोई संबंध नहीं है|